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नींद अर बातां / अर्जुनदेव चारण
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06:16, 15 अक्टूबर 2013
|संग्रह=घर तौ एक नाम है भरोसै रौ / अर्जुनदेव चारण
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<Poem>
जुगो जुग सूं
दादी नानी री
अबै
थूं मती बण
</Poem>
Sharda suman
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