भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शिकार / रूपसिंह राजपुरी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रूपसिंह राजपुरी |संग्रह= }} {{KKCatMoolRajasthani}} {{KKCatKavita}}<poem>बे…) |
Mani Gupta (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | {{ | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} |
− | {{KKCatKavita}}<poem>बेटा-बेटी मैं फर्क करैं जका, | + | {{KKCatKavita}} |
+ | <poem>बेटा-बेटी मैं फर्क करैं जका, | ||
समझ ल्यो बां रो राम निसरग्यो। | समझ ल्यो बां रो राम निसरग्यो। | ||
ऊत, कपूत घणां ई जामयां, | ऊत, कपूत घणां ई जामयां, |
20:22, 16 अक्टूबर 2013 का अवतरण
बेटा-बेटी मैं फर्क करैं जका,
समझ ल्यो बां रो राम निसरग्यो।
ऊत, कपूत घणां ई जामयां,
घर-घर मैं आंगणियों भरग्यो।
इन्दिरा जेड़ी एक ना जामी,
देखो कित्ताा अरसा गुजरग्यो।
बै जामैं तो कीयां जामैं,
अल्ट्रासाऊण्ड बां रो शिकार करग्यो।