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"साच..! / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

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आंख्यां रो भरम
 
आंख्यां रो भरम

07:41, 19 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण

टूटग्यो
आंख्यां रो भरम
अबै तो लागै
ओ संसार
एक अणहूणी
जकै में
निरथक है सोचणी
व्यवस्था री बात
चाळणो पड़सी
नारा उछाळती
भीड़ रै रेळै रै सागै
जकै में
कोई कोनी समझै
किण नै ही
ओळखणै री जरूरत !