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अरे निऊँ रौवै बूढ़ बैल / हरियाणवी
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06:24, 13 नवम्बर 2007
'''भावार्थ'''<br><br>
अरे यूँ रो रहा है बूढ़ा बैल--'मुझे बेच मत, ओ पापी! मैं तेरे सारे परिवार के कोल्हू में जुता हूँ (यानी तेरे
परिवार को पालने के लिए सारे काम मैंने किए हैं )। तेरे घर को मैंने अनाज से भर दिया और अब तूने अपना
अनिल जनविजय
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