भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हेत / गौरीशंकर प्रजापत" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गौरीशंकर प्रजापत |संग्रह= }} [[Category:म...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | {{KKCatKavita}}<poem>जमानो बंध्योड़ो है- | + | {{KKCatRajasthaniRachna}} |
+ | <poem> | ||
+ | जमानो बंध्योड़ो है- | ||
जात अर धरम मांय | जात अर धरम मांय | ||
मिनख-मिनख बिचाळै | मिनख-मिनख बिचाळै |
08:42, 19 अक्टूबर 2013 के समय का अवतरण
जमानो बंध्योड़ो है-
जात अर धरम मांय
मिनख-मिनख बिचाळै
ऐ डीगी-डीगी भींतां ई भींतां।
आं चमकता कंगूरा नैं
ओळखतो कुण
किणनैं दिखावता
लोक देखापै री आ चमक
जे हेत मांय नीं रळती नींव...
हेत नैं नीं पूग सकै
आपां री सींव
निवण हेत नैं....
निवण रेत नैं....