भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"चेतु रे माली फुलबगिया के / युक्तिभद्र दीक्षित ‘पुतान’" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
काँटा झरबेरिया के।। | काँटा झरबेरिया के।। | ||
</poem> | </poem> | ||
− | {{ | + | {{KKCatAwadhiRachna}} |
09:46, 7 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण
चेतु रे माली फुलबगिया के
बड़ी जुगुति ते साफु कीन तुयि
झंखरझार कटीले ।
दै दै रकतु प्रान रोपे रे
सुँदर बिरिछ छबीले ।
रहि ना जायं गुलाब के धोखे
काँटा झरबेरिया के।।