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"धन्य तू विनोबा ! / अटल बिहारी वाजपेयी" के अवतरणों में अंतर
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बिना लाव लस्कर समर कीन्हो सर है।<br> | बिना लाव लस्कर समर कीन्हो सर है।<br> |
16:25, 29 अप्रैल 2008 का अवतरण
जन की लगाय बाजी गाय की बचाई जान,
धन्य तू विनोबा ! तेरी कीरति अमर है।
दूध बलकारी, जाको पूत हलधारी होय,
सिंदरी लजात मल – मूत्र उर्वर है।
घास–पात खात दीन वचन उचारे जात,
मरि के हू काम देत चाम जो सुघर है।
बाबा ने बचाय लीन्ही दिल्ली दहलाय दीन्ही,
बिना लाव लस्कर समर कीन्हो सर है।