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"तिरवाळा तावड़ै रा / हरीश भादानी" के अवतरणों में अंतर

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हूं .....कई
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धम-धम बाजी
कोरो डूंगर
+
सईकां बाजी, बाजै अजूं ही
झाल्यौड़ौ खभौ
+
पण नीं फाटयौ म्हारो काळजौ
खेजड़ी.... जाळ......कै’ आक
+
पुतियौ पोतीजै
कै तळैचैठी ज्यौ सिणियौ
+
काळ रो कळमस चेरै
तूं बे री बेल.............?
+
आंख्यां में पीळियो ऊंधीजै आए साल
 
+
रेत री पांख्यां बैठ देख्या
म्हारौ उघाड़ौ
+
अठी-उठी रा खूंट
पळपळतौ हेमांणी काळजो देखतांई
+
सै’रां रा सै’र नाप्या,
सूरज री लाडैसर किरन्यां
+
पूछयौ चलवां-चैजारां रो
उतरै करै रमझोळ
+
गादी ओपता सैणां नै
दूर सूं देखै काच
+
म्हारी जंूण सूं आंध्यां
कैवता जावै....
+
कद तांई करैला खेला
वो रैयौ पांणी रौ छळावौ.........
+
आंगळी सूं लीकी जकी
पांणी कठै है अठै
+
नैर री मरोड़र
चौखूंट पड़ियौ है
+
कद हुवैला ऊभी पाळ
सूकौ सून्याड़
+
म्हरा आगोतर गिटते
बरसां-बरसां
+
बिना दांतां रै बांबी सरीखे
बादळ री लीरी तक रो नीं पासंग...........
+
बाकै आगै कद लागैला डाटौ
सांचा काचां री देखी-कैयी
+
बड़कां री दीठ में
पण दीठ नै दीसै
+
दीस्यौ रातींदौ
सूकै सरणाट में
+
म्हें ही लपेटी
जागती बैठौ
+
चूलै री राख री पाटी
तावड़ियौ साच
+
पूरबलां धोंता-धोंता पड़गी चांदयां माथै
कै,बादळ रै बसू नीं रैयी
+
दीनी समदरियै पूठ
म्हारी जंूण
+
बीं दिन सूं
देखतौ आयौ है सूरज बाप
+
पछबाड़ै पड़ियौ कळपीजूं
म्हारा,हां म्हारा कमतर
+
पूरब-सा सोंवता धणियां
धर मजलां, धर कूचां
+
कों तो बोलो।
दिनूगै-सिझ्यां
+
कतरा सईका आंता रैसी
जा पूगै पाताळ
+
म्हारी आंख्या में
भरलै बारे में
+
तिरवाळा तावड़ै रा ?
खळ-खळ नांखदै देगां में
+
आडा आयोड़ा
+
काच उतारै दीठ
+
म्हारै पणीढ़ै
+
कांसी री थाळी
+
म्हारी आंख्यां में झांकै तौ दीसै
+
नीलम आभौ
+
आभै पसरयौड़ी हरियल बेलां
+
बेलां में पांणी
+
पांणी सूं तिरिया-मिरिया
+
म्हारी हेमांणी जूंण
+
 
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07:28, 29 नवम्बर 2013 के समय का अवतरण

धम-धम बाजी
सईकां बाजी, बाजै अजूं ही
पण नीं फाटयौ म्हारो काळजौ
पुतियौ पोतीजै
काळ रो कळमस चेरै
आंख्यां में पीळियो ऊंधीजै आए साल
रेत री पांख्यां बैठ देख्या
अठी-उठी रा खूंट
सै’रां रा सै’र नाप्या,
पूछयौ चलवां-चैजारां रो
गादी ओपता सैणां नै
म्हारी जंूण सूं आंध्यां
कद तांई करैला खेला
आंगळी सूं लीकी जकी
नैर री मरोड़र
कद हुवैला ऊभी पाळ
म्हरा आगोतर गिटते
बिना दांतां रै बांबी सरीखे
बाकै आगै कद लागैला डाटौ
बड़कां री दीठ में
दीस्यौ रातींदौ
म्हें ही लपेटी
चूलै री राख री पाटी
पूरबलां धोंता-धोंता पड़गी चांदयां माथै
दीनी समदरियै पूठ
बीं दिन सूं
पछबाड़ै पड़ियौ कळपीजूं
पूरब-सा सोंवता धणियां
कों तो बोलो।
कतरा सईका आंता रैसी
म्हारी आंख्या में
तिरवाळा तावड़ै रा ?