"स्टैच्यू बोल दे / जेन्नी शबनम" के अवतरणों में अंतर
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तू उसके मन में | तू उसके मन में | ||
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चल जाएगा... | चल जाएगा... | ||
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भरोसे की पोटली में | भरोसे की पोटली में | ||
ज़रा-सा भ्रम भी बाँध दे | ज़रा-सा भ्रम भी बाँध दे | ||
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भ्रम मुझे बैलेंस करेगा... | भ्रम मुझे बैलेंस करेगा... | ||
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उसके लम्स के क़तरे | उसके लम्स के क़तरे | ||
तू अपनी उस तिजोरी में रख दे | तू अपनी उस तिजोरी में रख दे | ||
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जबरन न कर सकेगा... | जबरन न कर सकेगा... | ||
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अंतरिक्ष में | अंतरिक्ष में | ||
एक सेटलाईट टाँग दे | एक सेटलाईट टाँग दे | ||
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और मेरा हाल जान ले... | और मेरा हाल जान ले... | ||
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क़यामत का दिन | क़यामत का दिन | ||
तूने मुकरर्र तो किया होगा | तूने मुकरर्र तो किया होगा | ||
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अपने सातों जन्म जी लूँ... | अपने सातों जन्म जी लूँ... | ||
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अपना थोड़ा वक्त | अपना थोड़ा वक्त | ||
तेरे बैंक के सेविंग्स अकाउंट में | तेरे बैंक के सेविंग्स अकाउंट में | ||
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जो सिर्फ मेरा... | जो सिर्फ मेरा... | ||
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मैं सागर हूँ | मैं सागर हूँ | ||
मुझमें लहरें, तूफ़ान, खामोशी, गहराई है | मुझमें लहरें, तूफ़ान, खामोशी, गहराई है | ||
पंक्ति 75: | पंक्ति 69: | ||
मुझे करा दिया होता... | मुझे करा दिया होता... | ||
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मेरे कहे को | मेरे कहे को | ||
सच न मान | सच न मान | ||
पंक्ति 85: | पंक्ति 78: | ||
कभी न लौटा... | कभी न लौटा... | ||
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बहुत कन्फ्यूज़ हूँ | बहुत कन्फ्यूज़ हूँ | ||
एक प्रश्न का उत्तर दे - | एक प्रश्न का उत्तर दे - |
12:36, 13 जनवरी 2014 के समय का अवतरण
1-
जी चाहता है
उन पलों को
तू स्टैच्यू बोल दे
जिन पलों में
'वो' साथ हो
और फिर भूल जा...
2-
एक मुट्ठी ही सही
तू उसके मन में
चाहत भर दे
लाइफ भर का
मेरा काम
चल जाएगा...
3-
भरोसे की पोटली में
ज़रा-सा भ्रम भी बाँध दे
सत्य असह्य हो तो
भ्रम मुझे बैलेंस करेगा...
4-
उसके लम्स के क़तरे
तू अपनी उस तिजोरी में रख दे
जिसमें चाभी नहीं
नंबर लॉक हो
मेरी तरह 'वो' तुझसे
जबरन न कर सकेगा...
5-
अंतरिक्ष में
एक सेटलाईट टाँग दे
जो सिर्फ मेरी निगहबानी करे
जब फुर्सत हो तुझे
रिवाइंड कर
और मेरा हाल जान ले...
6-
क़यामत का दिन
तूने मुकरर्र तो किया होगा
इस साल के कैलेण्डर में
घोषित कर दे
ताकि उससे पहले
अपने सातों जन्म जी लूँ...
7-
अपना थोड़ा वक्त
तेरे बैंक के सेविंग्स अकाउंट में
जमा कर दिया है
न अपना भरोसा
न दुनिया का
अंतिम दिन
कुछ वक्त
जो सिर्फ मेरा...
8-
मैं सागर हूँ
मुझमें लहरें, तूफ़ान, खामोशी, गहराई है
इस दुनिया में भेजने से पहले
प्रबंधन का कोर्स
मुझे करा दिया होता...
9-
मेरे कहे को
सच न मान
रोज़ 'बाय' कर लौटना होता है
और
उसने कहा -
जाकर के आते हैं
कभी न लौटा...
10-
बहुत कन्फ्यूज़ हूँ
एक प्रश्न का उत्तर दे -
मुझे धरती क्यों बनाया?
जबकि मन
इंसानी...
(जनवरी 17, 2013)