भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"काले काँ माहिया (माहिया गीत) / पंजाबी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{ KKLokRachna |रचनाकार }} काले काँ माहिया बिछड़े सज्जनाँ दे भुल्ल जांदे ने ...) |
|||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
− | {{ | + | {{KKLokRachna |
− | KKLokRachna | + | |भाषा=पंजाबी |
− | |रचनाकार | + | |रचनाकार= |
}} | }} | ||
− | |||
काले काँ माहिया | काले काँ माहिया |
17:31, 13 जुलाई 2008 का अवतरण
पंजाबी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
काले काँ माहिया
बिछड़े सज्जनाँ दे
भुल्ल जांदे ने नाँ, माहिया !
भावार्थ
--'काले काग हैं
बिछुड़े हुए प्रेमियों के
नाम भी भूल जाते हैं ।'