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"तुम्हे सौंपता हूँ. / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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03:04, 11 दिसम्बर 2007 का अवतरण
फूल मेरे जीवन में आ रहे हैं
सौरभ से दसों दिशाएँ
भरी हुई हैं
मेरी जी विह्वल है
मैं किससे क्या कहूँ
आओ
अच्छे आए समीर
जरा ठहरो
फूल जो पसंद हों, उतार लो
शाखाएँ, टहनियाँ
हिलाओ, झकझोरो
जिन्हे गिरना हो गिर जायें
जाएँ जाएँ
पत्र-पुष्प जितने भी चाहो
अभी ले जाओ
जिसे चाहो, उसे दो
लो जो भी चाहे लो
जिसे चाहो, उसे दो
लो
जो भी चाहो लो
एक अनुरोध मेरा मान लो
सुरभि हमारी यह
हमें बड़ी प्यारी है
इसको सँभालकर जहाँ जाना
ले जाना
इसे तुम्हे सौंपता हूँ।