भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"मैं कोई शिक्षक नहीं / निज़ार क़ब्बानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKAnooditRachna
 
{{KKAnooditRachna
 
|रचनाकार=निज़ार क़ब्बानी  
 
|रचनाकार=निज़ार क़ब्बानी  
{{KKRachna
 
 
|अनुवादक=सिद्धेश्वर सिंह  
 
|अनुवादक=सिद्धेश्वर सिंह  
 
|संग्रह=
 
|संग्रह=

23:28, 31 मई 2014 के समय का अवतरण

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: निज़ार क़ब्बानी  » मैं कोई शिक्षक नहीं

मैं कोई शिक्षक नहीं हूँ
जो तुम्हें सिखा सकूँ
कि कैसे किया जाता है प्रेम !
मछलियों को नहीं होती शिक्षक की दरकार
जो उन्हें सिखलाता हो तैरने की तरक़ीब
और पक्षियों को भी नहीं
जिससे कि वे सीख सकें उड़ान के गुर ।

तैरो-- ख़ुद अपनी तरह से
उड़ो-- ख़ुद अपनी तरह से
प्रेम की पाठ्य-पुस्तकें नहीं होतीं
और इतिहास में दर्ज़
सारे महान प्रेमी हुआ करते थे--
निरक्षर
अनपढ़
अँगूठा-छाप ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : सिद्धेश्वर सिंह