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"एक रंगमहल की खूँट / खड़ी बोली" के अवतरणों में अंतर
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20:29, 17 दिसम्बर 2007 का अवतरण
♦ रचनाकार: अज्ञात
एक रंगमहल की खूँट
जिसमें कन्या नै जनम लिया ।
एक रंगमहल की खूँट
जिसमें कन्या नै जनम लिया ।
बाबा तुम क्यों हारे हो
दादसरा म्हारा जीत चला ।
एक रंगमहल की खूँट…………
पोती तेरे कारण हारा हे
पोते के कारण जीत चला ।
एक रंगमहल की खूँट………
उसके पिताजी को फिकर पड़ ग्या
पिताजी तुम क्यों हारे हो
ससुरा तो म्हारा जीत चला ।
एक रंगमहल की खूँट………।
बेटी तेरे कारण हारा हे
बेटे के कारण जीत चला ।
एक रंगमहल की खूँट………