"दे दो आकाश / रमा द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर
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− | तोडेंगे मौन अपना देंगे जवाब | + | खामोश भी जब हम रहे, कमजोर समझा हमको|<br> |
− | हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं | + | तोडेंगे मौन अपना, देंगे जवाब तुमको।<br> |
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− | लेंगे हिसाब इक-इक देना पडेगा | + | |
− | हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं | + | प्रश्नों के कठघरे में, घेरा है तुमने हमको।<br> |
− | पत्थर भी टूट जाए कोसा है इतना हमको |<br> | + | लेंगे हिसाब इक-इक, देना पडेगा तुमको।<br> |
− | सभ्यता का पाठ | + | हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥<br><br> |
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− | भारी पडी इक नारी दे दी शिकस्त तुमको | + | सभ्यता का पाठ, फिर से पढ़ना पडेगा तुमको|<br> |
− | हम जैसे हैं वैसे ही हैं इन्कार नहीं | + | हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको।<br><br> |
− | राज़ मुबारक तुमको,ताज़ मुबारक तुमको |<br> | + | |
− | बस चाहते हैं इतना दे दो आकाश हमको | + | देखी नहीं जाती है, सफलता हमारी तुमको।<br> |
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23:48, 25 जून 2008 का अवतरण
कहने को तो कुछ भी कहो, स्वीकार नहीं हमको।
हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥
खामोश भी जब हम रहे, कमजोर समझा हमको|
तोडेंगे मौन अपना, देंगे जवाब तुमको।
हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥
प्रश्नों के कठघरे में, घेरा है तुमने हमको।
लेंगे हिसाब इक-इक, देना पडेगा तुमको।
हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥
पत्थर भी टूट जाए, कोसा है इतना हमको|
सभ्यता का पाठ, फिर से पढ़ना पडेगा तुमको|
हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको।
देखी नहीं जाती है, सफलता हमारी तुमको।
भारी पडी इक नारी, दे दी शिकस्त तुमको|
हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥
राज़ मुबारक तुमको, ताज़ मुबारक तुमको|
बस चाहते हैं इतना, दे दो आकाश हमको|
हम जैसे हैं वैसे ही हैं, इन्कार नहीं हमको॥