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"पूँजी का कचराघर / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर

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शराब की खाली बोतल के बगल में लेटी है
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ये पूँजी का कचराघर है
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यहाँ शराब की खाली बोतल के बगल में लेटी है  
 
सरसों के तेल की खाली बोतल
 
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शीतल पेय की खाली बोतल के ऊपर लेटी है
 
 
पानी की एक लीटर की खाली बोतल
 
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शीतल पेय की खाली बोतल के ऊपर लेटी है
  
दो मिनट में बनने वाले नूडल्स के ढेर सारे खाली पैकेट बिखरे पड़े हैं
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उनके बीच बीच में से झाँक रहे हैं सब्जियों और फलों के छिलके
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ढेर सारे खाली पैकेट बिखरे पड़े हैं
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उनके बीच से किसी तरह मुँह निकालकर
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डर से काँपते हुए चाकलेट और टाफ़ियों के तुड़े मुड़े रैपर
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हवा के झोंके के सहारे भागकर
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चाकलेट और टाफ़ियों के तुड़े मुड़े रैपर
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कचरे से मुक्ति पाने की कोशिश कर रहे हैं
 
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सिगरेट और अगरबत्ती के खाली पैकेटों के बीच
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जोरदार झगड़ा हो रहा है
 
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दोनों एक दूसरे पर बदबू फैलाने का आरोप लगा रहे हैं
 
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यहाँ आकर पता चलता है
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कि सरकार की तमाम कोशिशों और कानूनों के बावजूद
 
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धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रही हैं पॉलीथीन की थैलियाँ
 
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एक गाय जूठन के साथ साथ पॉलीथीन की थैलियाँ भी खा रही है
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एक आवारा कुत्ता बकरे की हड्डियाँ चबा रहा है
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वो नहीं जानता कि जिसे वो हड्डियों का स्वाद समझ रहा है
 
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वो दर’असल उसके अपने मसूड़े से रिस रहे खून का स्वाद है
 
वो दर’असल उसके अपने मसूड़े से रिस रहे खून का स्वाद है
  
कुछ मैले-कुचैले नर कंकाल कचरे में अपना जीवन खोज रहे हैं
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पास से गुज़रने वाली सड़क पर
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आम आदमी जल्द से जल्द इस जगह से दूर भाग जाने की कोशिश रहा है
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इस जगह से दूर भाग जाने की कोशिश रहा है
 
क्योंकि कचरे से आने वाली बदबू उसके बर्दाश्त के बाहर है
 
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एक कवि कचरे के बगल में खड़ा होकर उस पर थूकता है
 
एक कवि कचरे के बगल में खड़ा होकर उस पर थूकता है
 
और नाक मुँह सिकोड़ता हुआ आगे निकल जाता है
 
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उस कवि से अगर कोई कह दे
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कि उसके थूकने से थोड़ा सा कचरा और बढ़ गया है
 
कि उसके थूकने से थोड़ा सा कचरा और बढ़ गया है
तो कवि निश्चय ही उसका सर फोड़ देगा
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तो कवि निश्चय ही उस आदमी का सिर फोड़ देगा
  
ये विकास का कचरा है
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ये पूँजी का कचराघर है।
 
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09:57, 5 नवम्बर 2014 के समय का अवतरण

ये पूँजी का कचराघर है

यहाँ शराब की खाली बोतल के बगल में लेटी है
सरसों के तेल की खाली बोतल

पानी की एक लीटर की खाली बोतल
दो सौ मिलीलीटर वाली
शीतल पेय की खाली बोतल के ऊपर लेटी है

दो मिनट में बनने वाले नूडल्स के
ढेर सारे खाली पैकेट बिखरे पड़े हैं
उनके बीच से किसी तरह मुँह निकालकर
साँस लेने की कोशिश कर रहे हैं
सब्जियों और फलों के छिलके

डर से काँपते हुए
चाकलेट और टाफ़ियों के तुड़े मुड़े रैपर
हवा के झोंके के सहारे भागकर
कचरे से मुक्ति पाने की कोशिश कर रहे हैं

सिगरेट और अगरबत्ती के खाली पैकेटों के बीच
जोरदार झगड़ा हो रहा है
दोनों एक दूसरे पर बदबू फैलाने का आरोप लगा रहे हैं

यहाँ आकर पता चलता है
कि सरकार की तमाम कोशिशों और कानूनों के बावजूद
धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रही हैं पॉलीथीन की थैलियाँ

एक गाय जूठन के साथ-साथ
पॉलीथीन की थैलियाँ भी खा रही है

एक आवारा कुत्ता बकरी की हड्डियाँ चबा रहा है
वो नहीं जानता कि जिसे वो हड्डियों का स्वाद समझ रहा है
वो दर’असल उसके अपने मसूड़े से रिस रहे खून का स्वाद है

कुछ मैले-कुचैले नर कंकाल
कचरे में अपना जीवन खोज रहे हैं

पास से गुज़रने वाली सड़क पर
आम आदमी जल्द से जल्द
इस जगह से दूर भाग जाने की कोशिश रहा है
क्योंकि कचरे से आने वाली बदबू उसके बर्दाश्त के बाहर है

एक कवि कचरे के बगल में खड़ा होकर उस पर थूकता है
और नाक मुँह सिकोड़ता हुआ आगे निकल जाता है
उस कवि से अगर कोई कह दे
कि उसके थूकने से थोड़ा सा कचरा और बढ़ गया है
तो कवि निश्चय ही उस आदमी का सिर फोड़ देगा

ये पूँजी का कचराघर है।