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"अकारण / मनोज कुमार झा" के अवतरणों में अंतर

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क्या रूकेगी नहीं एक क्षण के लिए यह एम्बुलेंस
 
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कि जान लूँ बीमार कितना बीमार
 
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या मृतक कैसा मृतक
 
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वृद्ध हैं तो कितने दाँत साबूत और बच्चा है तो उगे हैं कितने
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वृद्ध हैं तो कितने दाँत साबुत और बच्चा है तो उगे हैं कितने
 
कौन उसके साथ रो रहे और कौन दबा रहे हैं पाँव
 
कौन उसके साथ रो रहे और कौन दबा रहे हैं पाँव
  

14:50, 7 जनवरी 2015 के समय का अवतरण

क्या रूकेगी नहीं एक क्षण के लिए यह एम्बुलेंस
कि जान लूँ बीमार कितना बीमार
या मृतक कैसा मृतक
वृद्ध हैं तो कितने दाँत साबुत और बच्चा है तो उगे हैं कितने
कौन उसके साथ रो रहे और कौन दबा रहे हैं पाँव

कोई कारण नहीं, नहीं मैं कोई कारण नहीं ढ़ूँढ़ पा रहा
बस यूँ ही मैं भी धरती के इसी टुकड़े का
रहवैया और एक ही रस्ते से गुज़र रहे हम दोनों ।