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बैठज्या हेटै
खेजड़ी रै
रिसायळो सूरज के करसी ?
तपसी
घड़ दो घड़ी
आखर धाप’र मतै ही ठरसी,
मत बण
बगत रो रमतियो
सुख दुख आप री मोय बगसी,
राख सजळी
सत री जोत नै
पत नै आप ही रयां सरसी,
मरै ली माटी
तिसाई जद
गगण रो बादळ समद बणसी,
बधण तो दै
कंस रा कडूमो
किसन नै कोई माय जणसी !