भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"काळ हाथीड़ो / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
07:30, 24 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
घूमै
मदमस्त
चिंगर्योड़ै
हाथी सो काळ,
फिरै चींथतो
घोटां पोटां
आयोड़ी खेज्यां,
उठा’र
अदीठी सूंड
पीग्यो औसरतो बादळ
पड़्यो
उपाड़्योड़ो
खेत रो रूखाळो
अड़वो,
दबग्या उघड़ता चिंयां
नान्ही कूंपळां
अणदेखी लीद रै हेटै,
बोलै
साव सूनी
ढावयां में भूत,
कठै स्यूं आयो
चाणचक
भर्यै भादवै
ओ नास पीट्यो ?
टूटग्यो
समै रो सपनो,
बैठगी
आ’र
आंख में
नागी साच
भूख !