भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इक्कीसवीं सदी / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कन्हैया लाल सेठिया |अनुवादक= |संग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
07:33, 24 जनवरी 2015 के समय का अवतरण
सेस हूंती
बींसवीं सदी री
मोड़ पर
दीख्यो
ऊंट रा सा डग भर’र
आंतो काळ,
चट हुग्यो मैं
रूंखड़ै रै ओलै
पण पूछ लियो
एक हिरण भोळै ?
बापजी काळजी
कर्यो है कुनैं
पधारणैं रो मतो ?
बोल्यो
फैला स्यूं जाळ सगळै
कोनीकरूं टाळ
अबकाळै,
सुणी है
देस नै
इक्कीसवीं सदी में
ले ज्याणै री बात,
जे नहीं खींडा दयूं खात
आं बोकां री
तो मत कही जे मनैं काळ,
पड़ग्या नेतावां री
अकल पर पत्थर
के दे देसी
तिसायां नै पाणी
भूखां नै अन्न
अड़खंजा कमप्यूटर ?
करा देस्यूं
गुद्दी में आंख
फैंक देस्यूं
कतर’र
सपना री पांख
पड़सी
उड उड’र जद
करम में रेतो
बावड़ ज्यासी
आं
अहदयां नै चेतो !