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"थांरौ सांच / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर
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+ | फगत एक बिलांद। | ||
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22:40, 25 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण
थारी हरेक ने
नापण री कोसिस
घटावै है कद
थारौ खुद रौ
थारी ऊँचाई पर
जावण री
बिना सींग पूंछ री इच्छा
थनै लाय पटकै
ठेठ रसातळ में।
थारी ज्ञान बघारण री
अणमांवती बायड़
थनै दरसावै
परलै दरजै रौ मूरख।
थारी ‘साबू’ बणन री चाल
पड़ै हमेस ऊँधी
अर तू रैय जावै
फगत एक बिलांद।