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"शिव या शव / संजय आचार्य वरुण" के अवतरणों में अंतर

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तू म्हनै
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सुण सकै तो सुण
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म्हैं ऐक डील हूँ।
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किं पैला रो है
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पण ठा नीं क्यूं
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बार बार
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अर हुवणौ भी नीं चावूं।
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आ चावूं
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अर स्वर बण’र
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म्हारै रूं रूं में गूंज।
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म्हारी आत्मा
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अबकी बार मत होईजे
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अळगी थारै
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इण शरीर सूं
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तू तो जाणें ई’ज है
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तो बणै एक शिव।
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आत्मा अर षरीर
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जद हुय जावै
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एक दूजै सूं दूर
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तो बणै शव।
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अबै तू ही सोच
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तू म्हनै कीं रूप में
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देखणी चावै?
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शिव या शव
 
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22:50, 25 फ़रवरी 2015 के समय का अवतरण

म्हारी आत्मा
तू म्हनै
सुण सकै तो सुण
म्हैं ऐक डील हूँ।
थारौ अर म्हारौ नातौ
इण सिस्टी सूं भी
किं पैला रो है
पण ठा नीं क्यूं
तू बदळती रैवै
थारौ खौळियो
बार बार
घणी बार, अर
खिड़क्यां पर रै जावै
थारै हाथां सूं माण्ड्योड़ा
बीं शरीरां रा नांव
बठै, सायत म्हैं कोनी
अर हुवणौ भी नीं चावूं।
म्है तो फगत
आ चावूं
के तू म्हारै मांय
कविता बण’र
म्हारी नस नस में बैव
अर स्वर बण’र
म्हारै रूं रूं में गूंज।
म्हारी आत्मा
अबकी बार मत होईजे
अळगी थारै
इण शरीर सूं
तू तो जाणें ई’ज है
के आत्मा-शरीर मिलै
तो बणै एक शिव।
आत्मा अर षरीर
जद हुय जावै
एक दूजै सूं दूर
तो बणै शव।
अबै तू ही सोच
तू म्हनै कीं रूप में
देखणी चावै?
शिव या शव