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11:39, 25 मई 2008 के समय का अवतरण
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मेरी बेटी
गहरी नींद में सो रही है
सूरज अपने पूरे जोबन पर आ चुका है
मैं बेटी को
प्यार से उठाने की कोशिश करता हूँ
पर वह करवट बदल कर
फिर गहरी नींद में सो जाती है
अब मैं खीझ कर
फिर से उसे उठाने लगता हूँ
तो मेरी बेटी उनींदी आँखों से
मेरी ओर देखती है
मानो वास्ता दे रही हो
पापा…
मुझे बचपन की नींद तो
जी-भरकर ले लेने दो
फिर तो मुझे
सारी उम्र ही जागना है…।