भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बहुवां / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |संग्रह=धंवर पछै सूरज / नि...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:10, 4 मई 2015 के समय का अवतरण
कई भीखारण्यां रै/चै’रै पर तो
चेळको है
पण बिचलै वर्ग री
बहुवां री
हाडक्यां
निकळ री है
कारण साफ ह।
धूंवै अर
सीलीड़ै सूं भर्योड़ै
चौभींतै मांय
बांनै काम तो है घणों
अर खुराक
पराई जाई नै
पूरी कठै ?