भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जमानो / निशान्त" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

15:14, 9 मई 2015 के समय का अवतरण

बाड़ां बाजरी
छातां घास खड़ी
खेतां धान
अर बेलां पसरी
हवा मांय काकड़ियां री
सौरम घुळी
तूड़ी-पराळी स्यूं
छूट्यो पैण्डो
धामण री कूड़ी खड़ी
धाप-धाप आवै
गायां—भैंस्या
दूध-घी री मौज बणी
आसोज नीं लागै करड़ो
मौसम मांय ठण्ड री
रळक रळी ।