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टांग‘र
सइकल पर
लंबी सी धजा
टेक गबरू
चाल्यो है
सालासर धाम
फरूकती धजा
आवै बार-बार
आंख्यां आगै
सडक भरी बगै
साधनां स्यूं
सोचूं - आ अंध सरधा
ले न ल्यै कठैई
बीं री ज्यान !