भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बिसुअै भर गोळी / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:26, 9 मई 2015 के समय का अवतरण
सात फुटो
गबरू जवान
मार नाख्यो अेक
बिसुअै भर गोळी
फालतू ई
गरब करां
सरीर अर
सरीर री ताकत रो ।