भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कूटळो चुगण आळा / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:35, 9 मई 2015 के समय का अवतरण
कूटळो चुगण आळा
घरां स्यूं
कूटळो नीं मांगै
स्यात बै इत्ती
समझ राखै कै
जे कुटळो मांग्यो तो
घर आळा काठा होज्यैगा
ईं वास्तै बै सदां
कचरो गळी स्यूं ई चुगै
भलांई कूटळो
गळी तांई आंवतो-आंवतो
अर गळी में पड़्यो-पड़्यो
कित्तोई
छीज्यै ।