भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"डलेवर / निशान्त" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निशान्त |अनुवादक= |संग्रह=आसोज मा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
16:57, 9 मई 2015 के समय का अवतरण
दूर दराज रै गामां मांय
बखत-बेबखत
बस ले जावणिया डलेवर
फगत
आपरै मालक रो ई काम नीं करै
दूजां रा घणां सारा काम ई सारै
किण ई रो टिफन
किण ई रो सनेसो
का कोई समान
इंयां ल्यावै ले ज्यावै जाणै
खुद रो ई हुवै
अखबार सारू तो लोग
उडीकता ई रैवै
बां नै ।