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"जीवण-रंग (1) / निशान्त" के अवतरणों में अंतर

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चीड़ी-कागलां नै देख’र
म्हारो नांनियो हांस्यो
तो आं रै
मैतव रो
महनै सागीड़ो
ठा’ चाल्यो