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हाथ / राजकमल चौधरी
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07:51, 20 जुलाई 2015
वक़्त के ताबूत में सिमट नहीं पाते हैं
गर्म उसके सफ़ेद हाथ । लाल फूलों से
ढका पड़ा
रस्ता
रहता
है सिकुड़ा हुआ
उसका पूरा जिस्म एक अन्धेरे कोने में
ख़ासकर बुझी हुई आँखों के पीले
अनिल जनविजय
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