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− | + | गीत के मोती हृदय के सीप मेॅ छै , | |
− | + | हास-करुणा तेॅ हरेक टा गीत मेॅ छै, | |
− | + | कविता की छै ? भावना छै, कल्पना छै | | |
− | + | कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै | | |
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− | + | देखी केॅ सौंदर्य केॅ सौंसे जगत मेॅ, | |
− | + | जागै छै जे कामना, नर मेॅ, भगत मेॅ, | |
− | + | कामना की ? कविता के ई प्रेरणा छै | | |
− | + | कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै | | |
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− | + | जब कभी भी आँखोॅ सेॅ ऑंसू बहै छै, | |
− | + | होठ कानी-कानी केॅ स्वर केॅ जनै छै , | |
− | + | कानना की ? कविता के ई वेदना छै | | |
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+ | रचनाकाल- 10 मार्च 2010 | ||
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23:58, 12 मई 2016 के समय का अवतरण
गीत के मोती हृदय के सीप मेॅ छै ,
हास-करुणा तेॅ हरेक टा गीत मेॅ छै,
कविता की छै ? भावना छै, कल्पना छै |
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |
देखी केॅ सौंदर्य केॅ सौंसे जगत मेॅ,
जागै छै जे कामना, नर मेॅ, भगत मेॅ,
कामना की ? कविता के ई प्रेरणा छै |
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |
जब कभी भी आँखोॅ सेॅ ऑंसू बहै छै,
होठ कानी-कानी केॅ स्वर केॅ जनै छै ,
कानना की ? कविता के ई वेदना छै |
कविता के जननी तेॅ बस संवेदना छै |
रचनाकाल- 10 मार्च 2010