भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कालेमेग्दान / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=कितनी नावों में कितनी बार / अज्ञेय }} इध...) |
छो |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
इधर <br> | इधर <br> | ||
− | परकोटे और भीतरी | + | परकोटे और भीतरी दीवार के बीच <br> |
लम्बी खाई में <br> | लम्बी खाई में <br> | ||
ढंग से सँवरे हुए <br> | ढंग से सँवरे हुए <br> | ||
पिछले महायुद्ध के हथियारों के ढूह: <br> | पिछले महायुद्ध के हथियारों के ढूह: <br> | ||
− | रूण्डे टैंक, टुण्डी तोपें, नकचिपटे गोला- | + | रूण्डे टैंक, टुण्डी तोपें, नकचिपटे गोला-फेंक— <br> |
सब की पपोटे-रहित अन्धी आँखें <br> | सब की पपोटे-रहित अन्धी आँखें <br> | ||
ताक रहीं आकाश। <br> | ताक रहीं आकाश। <br> | ||
पंक्ति 18: | पंक्ति 18: | ||
बेढंगे झंखाड़ों से अधढँके <br> | बेढंगे झंखाड़ों से अधढँके <br> | ||
मठ और गिरजाघर के खंडहर <br> | मठ और गिरजाघर के खंडहर <br> | ||
− | चौकाठ-रहित खिड़कियों से | + | चौकाठ-रहित खिड़कियों से उमड़ता अंधियार <br> |
− | मनुष्यों को | + | मनुष्यों को मानों खोजता हो धरती पर... <br> |
ईश्वर रे, मेर बेचारे, <br> | ईश्वर रे, मेर बेचारे, <br> | ||
तेरे कौन रहे अधिक हत्यारे? <br> <br> | तेरे कौन रहे अधिक हत्यारे? <br> <br> | ||
− | बेओग्राद, युगोस्लाविया] | + | <span style="font-size:14px">बेओग्राद, युगोस्लाविया] |
---- | ---- | ||
− | ''कालेमेग्दान'': सावा और दोगउ (डैन्यूब) के संगम पर प्राचान दुर्ग, जिस के भीतर अब अस्त्र-संग्रहालय भी है। | + | ''कालेमेग्दान'': सावा और दोगउ (डैन्यूब) के संगम पर प्राचान दुर्ग, जिस के भीतर अब अस्त्र-संग्रहालय भी है।</span> |
16:51, 31 मार्च 2008 का अवतरण
इधर
परकोटे और भीतरी दीवार के बीच
लम्बी खाई में
ढंग से सँवरे हुए
पिछले महायुद्ध के हथियारों के ढूह:
रूण्डे टैंक, टुण्डी तोपें, नकचिपटे गोला-फेंक—
सब की पपोटे-रहित अन्धी आँखें
ताक रहीं आकाश।
उधर
परकोटे और दीवार के बीच टीले पर
बेढंगे झंखाड़ों से अधढँके
मठ और गिरजाघर के खंडहर
चौकाठ-रहित खिड़कियों से उमड़ता अंधियार
मनुष्यों को मानों खोजता हो धरती पर...
ईश्वर रे, मेर बेचारे,
तेरे कौन रहे अधिक हत्यारे?
बेओग्राद, युगोस्लाविया]
कालेमेग्दान: सावा और दोगउ (डैन्यूब) के संगम पर प्राचान दुर्ग, जिस के भीतर अब अस्त्र-संग्रहालय भी है।