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घाटी में संघर्ष विराम / हरिओम पंवार
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18:18, 1 अक्टूबर 2016
हरिओम पंवार जी की कविता जोड़ी
तीखे शब्दों की तलवार लिये फिरता हूँ वाणी मे
इसीलिए केवल अंगार लिये फिरता हूँ वाणी में ।
हर संकट का हल मत पूछो, आसमान के तारों से
सूरज किरणें नहीं मांगता नभ के चाँद-सितारों से
Abhishek Amber
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