भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आकाशवाणी / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / ओक्ताविओ पाज़" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओक्ताविओ पाज़ |अनुवादक=बालकृष्ण...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 35: | पंक्ति 35: | ||
और देखता है हमें, स्वयं को दिखाते हुए | और देखता है हमें, स्वयं को दिखाते हुए | ||
− | ''' | + | '''अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ ''' |
</poem> | </poem> |
11:32, 23 नवम्बर 2016 के समय का अवतरण
रात्रि के शीतल होंठ
करते उच्चरित एक शब्द
दुख का यह स्तम्भ
शब्द नहीं शिला
शिला नहीं छाया
मेरे वाष्पित होठों के
वास्तविक जल से आता
वाष्पित विचार
शब्द सत्य का
मेरी त्रुटियों का कारण
यदि यह मृत्यु है
तो केवल उसी के माध्यम से रहता हूँ मैं
यदि यह एकान्त है
तो बोलकर व्यतीत करता इसे मैं
है स्मृति यह
और मुझे कुछ भी याद नहीं
मुझे नहीं पता
क्या कहता यह
और मैं स्वयं भरोसा करता इस पर
कोई जी रहा है यह कैसे जानना
कोई जानता है यह कैसे भूलना
समय जो अधखुला रखता है पलकों को
और देखता है हमें, स्वयं को दिखाते हुए
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’