"प्रेम-पिआसे नैन / भाग 2 / चेतन दुबे 'अनिल'" के अवतरणों में अंतर
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− | संयम के तट पर खड़े , सपने हुए उदास।। | + | संयम के तट पर खड़े, सपने हुए उदास।। |
भाग्य- भाग्य का खेलहै, जो विधि लिखा लिलार। | भाग्य- भाग्य का खेलहै, जो विधि लिखा लिलार। | ||
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उमर बिता दी याद में, लेकर उनका नाम। | उमर बिता दी याद में, लेकर उनका नाम। | ||
− | घूँट- घूँट , पल- पल पिए , आँसू के ही जाम।। | + | घूँट- घूँट , पल- पल पिए, आँसू के ही जाम।। |
− | रातों की नींदें गई , गया आत्मविश्वास। | + | रातों की नींदें गई, गया आत्मविश्वास। |
− | तन ही मेरे पास है , मन है उनके पास।। | + | तन ही मेरे पास है, मन है उनके पास।। |
जीवन भर छलती रही, आशा नमकहराम। | जीवन भर छलती रही, आशा नमकहराम। | ||
− | दृग के अश्कों ने किया , डगर- डगर बदनाम।। | + | दृग के अश्कों ने किया, डगर- डगर बदनाम।। |
आँसू-आँसू में लिखा, सुमुखि! तुम्हारा नाम। | आँसू-आँसू में लिखा, सुमुखि! तुम्हारा नाम। | ||
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बसी रह गई हृदय में, बस उसकी तस्वीर।। | बसी रह गई हृदय में, बस उसकी तस्वीर।। | ||
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तब से मेरी आँख के, आँसू हुए पवित्र।। | तब से मेरी आँख के, आँसू हुए पवित्र।। | ||
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उनके ऊपर है पड़ी, हाय वक्त की मार।। | उनके ऊपर है पड़ी, हाय वक्त की मार।। | ||
− | मन बौराया आम-सा , तन हो गया बबूल। | + | मन बौराया आम-सा, तन हो गया बबूल। |
आँखों में चुभने लगे, हर मौसम के फूल।। | आँखों में चुभने लगे, हर मौसम के फूल।। | ||
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00:15, 13 दिसम्बर 2016 के समय का अवतरण
जब अधरों पर प्यास थी, टूटी मन की आस।
संयम के तट पर खड़े, सपने हुए उदास।।
भाग्य- भाग्य का खेलहै, जो विधि लिखा लिलार।
उनको मुस्कानें मिली, मुझे अश्रु की धार।।
उमर बिता दी याद में, लेकर उनका नाम।
घूँट- घूँट , पल- पल पिए, आँसू के ही जाम।।
रातों की नींदें गई, गया आत्मविश्वास।
तन ही मेरे पास है, मन है उनके पास।।
जीवन भर छलती रही, आशा नमकहराम।
दृग के अश्कों ने किया, डगर- डगर बदनाम।।
आँसू-आँसू में लिखा, सुमुखि! तुम्हारा नाम।
फिर भी मन को एक पल, मिला न कभी विराम।।
सपना टूटा आँख में, फूट गई तकदीर।
बसी रह गई हृदय में, बस उसकी तस्वीर।।
जब से मानस- पटल पर, बना तुम्हारा चित्र।
तब से मेरी आँख के, आँसू हुए पवित्र।।
प्रणय- जोर में थे बँधे, जो सपने सुकुमार।
उनके ऊपर है पड़ी, हाय वक्त की मार।।
मन बौराया आम-सा, तन हो गया बबूल।
आँखों में चुभने लगे, हर मौसम के फूल।।