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"दहशत / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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रास्ते बन्द कर दे
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अकेलेपन पर रोयें
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मुट्ठियाँ भिंचे तो क्या
  
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ख़ामोश आँखें
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कान लगे रहते हैं
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आरव की टोह में
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लोहबान का धुआँ
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भी उठे तेा
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बारूद के धुँए का
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शक़ हो
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बच्चे पटाखा छोड़े तो
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गोली चलने का अंदेशा हो
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भरोसा ख़त्म हो
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और विश्वास उठ जाये तो
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जानी -पहचानी सूरत
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गैंडे की शक्ल में
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सामने आ खड़ी हो
 
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17:36, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

खुली हवा पर
पाबन्दी
रास्ते बन्द कर दे
पाँव बाँध दे
सड़कें अपने
अकेलेपन पर रोयें
मुट्ठियाँ भिंचे तो क्या

ख़ामोश आँखें
टिकी रहती हैं
खिड़की की झिरी पर
कान लगे रहते हैं
आरव की टोह में
लोहबान का धुआँ
भी उठे तेा
बारूद के धुँए का
शक़ हो
बच्चे पटाखा छोड़े तो
गोली चलने का अंदेशा हो

भरोसा ख़त्म हो
और विश्वास उठ जाये तो
जानी -पहचानी सूरत
गैंडे की शक्ल में
सामने आ खड़ी हो