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"मायाजाल / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | मीठा-मीठा दाना डाल | ||
+ | आधी दुनिया हुई शिकारी | ||
+ | आधी हुई शिकार | ||
+ | बाकी बड़ा सुखी संसार | ||
+ | सत्य भी है | ||
+ | अहिंसा भी है | ||
+ | दाया-धरम-अपार | ||
+ | राम-कृष्ण भगवान | ||
+ | बाज़ार में जैसे सब सामान | ||
+ | जैसी मूरत | ||
+ | वैसा दाम | ||
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+ | रेशम कहीं जुलाहा पहने | ||
+ | मोती गोताखोर | ||
+ | दूर के चाँद पे | ||
+ | जान छिड़कता | ||
+ | बुद्धू बना चकोर | ||
+ | कैसी सहनशीलता है | ||
+ | मन की ग्लानि | ||
+ | मानसिकता है | ||
+ | जहाँ पवित्रता | ||
+ | वहाँ पाप भी | ||
+ | रंग बदलता | ||
+ | एक दुष्ट मारीचि कर गया | ||
+ | हिरन का नाम | ||
+ | बड़ा बदनाम | ||
+ | नकली सोना तो बस | ||
+ | सीधे आभूषण ही बनता | ||
+ | ठग भी | ||
+ | साथ मुसाफिर के | ||
+ | उसी वेश में चलता | ||
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22:26, 1 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
भली-भली सी बातें हों
भला-भला सा मायाजाल
होती अक्ल कहाँ चिड़िया में
मीठा-मीठा दाना डाल
आधी दुनिया हुई शिकारी
आधी हुई शिकार
बाकी बड़ा सुखी संसार
सत्य भी है
अहिंसा भी है
दाया-धरम-अपार
राम-कृष्ण भगवान
बाज़ार में जैसे सब सामान
जैसी मूरत
वैसा दाम
रेशम कहीं जुलाहा पहने
मोती गोताखोर
दूर के चाँद पे
जान छिड़कता
बुद्धू बना चकोर
कैसी सहनशीलता है
मन की ग्लानि
मानसिकता है
जहाँ पवित्रता
वहाँ पाप भी
रंग बदलता
एक दुष्ट मारीचि कर गया
हिरन का नाम
बड़ा बदनाम
नकली सोना तो बस
सीधे आभूषण ही बनता
ठग भी
साथ मुसाफिर के
उसी वेश में चलता