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"ठोमहा भर घाम (कविता) / चेतन भारती" के अवतरणों में अंतर
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छोंड़ तो चौंधियावत डगर ल ष | छोंड़ तो चौंधियावत डगर ल ष | ||
सुरता कर तरिया के सुरुज, | सुरता कर तरिया के सुरुज, | ||
− | चउल धुंगिया-धूर्रा क फरक | + | चउल धुंगिया-धूर्रा क फरक ल। |
हाथी उस मस्त रेंगना तो देएख, | हाथी उस मस्त रेंगना तो देएख, | ||
− | धरती के रखवार आगू आवत | + | धरती के रखवार आगू आवत हे। |
ये किसनहा उठके रोज बिहनहा, | ये किसनहा उठके रोज बिहनहा, | ||
− | खेती में सपना बोंये आवत | + | खेती में सपना बोंये आवत हे। |
उघरा तन, मन उज्जर, मुस्कात, | उघरा तन, मन उज्जर, मुस्कात, | ||
− | बता खपरा छानी, पक्का महल के फरक | + | बता खपरा छानी, पक्का महल के फरक ल। |
मेकरा जाला अस छाये राजनीति म, | मेकरा जाला अस छाये राजनीति म, | ||
− | फंसे फाफा अस गाँव फड़फड़ावत | + | फंसे फाफा अस गाँव फड़फड़ावत हे। |
चलती हवा के भभकी म आके , | चलती हवा के भभकी म आके , | ||
− | ररुहा अंधियारी घला डरुवावत | + | ररुहा अंधियारी घला डरुवावत हेे। |
− | इहां कहां धंधाय हे बपुरा अंजोरी ? | + | इहां कहां धंधाय हे बपुरा अंजोरी? |
‘ठोमहा भर घाम’ बर ओखर तरस ल | ‘ठोमहा भर घाम’ बर ओखर तरस ल | ||
रुख म चटके पाना के का ठिकाना, | रुख म चटके पाना के का ठिकाना, | ||
− | आज निही ते काली खाल्हे | + | आज निही ते काली खाल्हे आही। |
बोकरा के गर बंधाय हे डोरी, | बोकरा के गर बंधाय हे डोरी, | ||
− | कतक दिन ले ओ खैर | + | कतक दिन ले ओ खैर मनाही। |
नवा राज म सुकुवा कती लुकाय हे, | नवा राज म सुकुवा कती लुकाय हे, | ||
करम करत देख, अपन लाल रकत ल | करम करत देख, अपन लाल रकत ल | ||
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12:13, 18 जनवरी 2017 के समय का अवतरण
चल ते भइया थोरिक गांव चली,
छोंड़ तो चौंधियावत डगर ल ष
सुरता कर तरिया के सुरुज,
चउल धुंगिया-धूर्रा क फरक ल।
हाथी उस मस्त रेंगना तो देएख,
धरती के रखवार आगू आवत हे।
ये किसनहा उठके रोज बिहनहा,
खेती में सपना बोंये आवत हे।
उघरा तन, मन उज्जर, मुस्कात,
बता खपरा छानी, पक्का महल के फरक ल।
मेकरा जाला अस छाये राजनीति म,
फंसे फाफा अस गाँव फड़फड़ावत हे।
चलती हवा के भभकी म आके ,
ररुहा अंधियारी घला डरुवावत हेे।
इहां कहां धंधाय हे बपुरा अंजोरी?
‘ठोमहा भर घाम’ बर ओखर तरस ल
रुख म चटके पाना के का ठिकाना,
आज निही ते काली खाल्हे आही।
बोकरा के गर बंधाय हे डोरी,
कतक दिन ले ओ खैर मनाही।
नवा राज म सुकुवा कती लुकाय हे,
करम करत देख, अपन लाल रकत ल