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"निःशस्त्र / मनप्रसाद सुब्बा" के अवतरणों में अंतर
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अहँ, थाहै थिएन | अहँ, थाहै थिएन | ||
कि तिम्रो सामुन्ने म यस्तरी | कि तिम्रो सामुन्ने म यस्तरी |
14:38, 16 मार्च 2017 के समय का अवतरण
अहँ, थाहै थिएन
कि तिम्रो सामुन्ने म यस्तरी
नाङ्गिँदै पनि जानसक्छु
कुन्नि कति बेला हो
मेरा मान र शानहरू
एक-एक गर्दै फुकालेर
मैले तिम्रा खुट्टाका नङ्हरूमा
राखिसकेछु
स्वाभिमानको यौटा कर्णकवच थियो
त्यो पनि छातीबाट च्यातेर उप्काई
तिम्रो हत्केलामा मुस्कुराउँदै राखिदिइसकेको छु
अब म यति नि:शस्त्र छु
कि यो छातीमा तिम्रो कान्छी औंलीले घोंचे पुग्छ
म रगताम्य हुन्छु