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"गळगचिया (63) / कन्हैया लाल सेठिया" के अवतरणों में अंतर

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नीमड़ै रो रूँख मतीरै री बैल नै हँस‘र कयो म्हारी टोखी तो आभे नै नावड़ै है‘र तूँ धूड़ पर ही पसरयोडी पड़ी है ?
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मतीरै री बैल बोली पैली थारै फळ कानी देख पछै म्हारै स्ँयू बात करीजे!
 
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16:31, 17 मार्च 2017 के समय का अवतरण

नीमड़ै रो रूँख मतीरै री बैल नै हँस‘र कयो म्हारी टोखी तो आभे नै नावड़ै है‘र तूँ धूड़ पर ही पसरयोडी पड़ी है ?
मतीरै री बैल बोली पैली थारै फळ कानी देख पछै म्हारै स्ँयू बात करीजे!