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− | + | म छक्क पर्छु— कलाकृति सुन्दर मात्र हैन सजीव रहेछन्, | |
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08:58, 9 मई 2017 के समय का अवतरण
थुप्रै मूर्तिशिल्पका कलाकृतिहरू वरिपरि घुमेर
म ती हातहरूको प्रशंसा गर्दै
त्यो मस्तिष्क, त्यो शरीर अर्थात् त्यो कलाकार खोज्छु
एउटा मूर्ति चलमलाउँछ
म छक्क पर्छु— कलाकृति सुन्दर मात्र हैन सजीव रहेछन्,
हेर । मूर्ति त बोल्न पनि लाग्यो मूर्तिहरूमध्ये बीचबाट,
‘मलाई पहिले किन्नुस् हजुर ।
म ज्यादै भोको छु।’