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गाउँमा एउटा साँझ / विवश पोखरेल
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10:55, 14 मई 2017
गुलाबी बिछ्यौनामा निश्चिन्त
सुतेजस्तो देखिन्छ
पहँेलो
पहेँलो
घाम
निर्जनता छिचोल्दै–
निर्बाध बगिरहेछ नदी
Sirjanbindu
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