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"मुझसे चांद कहा करता है / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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मुझसे चांद कहा करता है<br>
 
मुझसे चांद कहा करता है<br>

03:02, 16 जुलाई 2008 का अवतरण

मुझ से चांद कहा करता है--


चोट कडी है काल प्रबल की,
उसकी मुस्कानों से हल्की,
राजमहल कितने सपनों का पल में नित्य ढहा करता है,
मुझसे चांद कहा करता है


तू तो है लघु मानव केवल,
पृथ्वी तल का वासी निर्बल,
तारों का असमर्थ अश्रु भी नभ में नित्य बहा करता है,
मुझसे चांद कहा करता है


तू अपने दुख में चिल्लाता,
आँखो देखी बात बताता,
तेरे दुख से कहीं कठिन दुख यह जग मौन सहा करता है
मुझसे चांद कहा करता है