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"गजल कहो आसान नहीं है / अमरेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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− | + | रुक्नों का अरकान नहीं है | |
− | + | अपना दुख तो कलियुग जैसा | |
− | + | दो दिन का मेहमान नहीं है | |
− | + | जीवन मेरा एक कहानी | |
− | + | जिसका कुछ उनवान नहीं है | |
− | + | खून हुआ सब चुप हैं वैसे | |
− | + | कातिल पर अनजान नहीं है | |
− | + | जब तक चाहो सुख से रह लो | |
− | + | दिल, है अफगानिस्तान नहीं है | |
− | + | मारोगे तो रोएगा ही | |
− | + | अमरेन्दर भगवान नहीं है। | |
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00:03, 26 जून 2017 के समय का अवतरण
गजल कहो आसान नहीं है
लेकिन यह वरदान नहीं है
गजल बयां की बारीकी है
रुक्नों का अरकान नहीं है
अपना दुख तो कलियुग जैसा
दो दिन का मेहमान नहीं है
जीवन मेरा एक कहानी
जिसका कुछ उनवान नहीं है
खून हुआ सब चुप हैं वैसे
कातिल पर अनजान नहीं है
जब तक चाहो सुख से रह लो
दिल, है अफगानिस्तान नहीं है
मारोगे तो रोएगा ही
अमरेन्दर भगवान नहीं है।