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"बातां : तीन / ॠतुप्रिया" के अवतरणों में अंतर

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थूं
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आपां
बीमार
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बातां तो करां
थारी लापरवाही सूं
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घणी चोखी-चोखी
ठीक होवणौ चावै
+
पण
तद
+
इण रै मुजब
नां डर
+
ढळां किता'क ?
  
टैम काड
+
बरफ दांईं
खुद सारू
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टुकड़ा-टुकड़ा सांच
 +
 
 +
कीं नीं आणी-जाणी
 
अर  
 
अर  
प्रकृति नै दिखा
+
पसरज्यै
जिकी
+
बण'र पाणी।
सैं’ सूं बड्डी डाकधर।
+
  
 
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17:13, 8 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

आपां
बातां तो करां
घणी चोखी-चोखी
पण
इण रै मुजब
ढळां किता'क ?

बरफ दांईं
टुकड़ा-टुकड़ा सांच

कीं नीं आणी-जाणी
अर
पसरज्यै
बण'र पाणी।