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"कर्ण-आठमोॅ सर्ग / रामधारी सिंह ‘काव्यतीर्थ’" के अवतरणों में अंतर

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1. अर्जुन प्रण
 
1. अर्जुन प्रण
 
सूरज अस्त तांय
 
सूरज अस्त तांय
जयद्रथ वध ।
+
जयद्रथ वध।
  
 
2. भाग्य निर्णय
 
2. भाग्य निर्णय
 
दुर्योधन बोललै
 
दुर्योधन बोललै
वीर कर्ण सें ।
+
वीर कर्ण सें।
  
 
3. मूर्ख अर्जुन
 
3. मूर्ख अर्जुन
 
आपनों सर्वनाश
 
आपनों सर्वनाश
प्रण करि केॅ ।
+
प्रण करि केॅ।
  
 
4. सुअवसर  
 
4. सुअवसर  
 
भाग्योदय सूचक
 
भाग्योदय सूचक
चुकोॅ नै कर्ण ।
+
चुकोॅ नै कर्ण।
  
 
5. रण कुशलता
 
5. रण कुशलता
 
परिचय देय केॅ
 
परिचय देय केॅ
तोरोॅ परीक्षा ।
+
तोरोॅ परीक्षा।
  
 
6. बड़ी थकलोॅ
 
6. बड़ी थकलोॅ
 
भीम साथें युद्धों में
 
भीम साथें युद्धों में
कर्ण बोललै ।
+
कर्ण बोललै।
  
 
7. सौंसे शरीर
 
7. सौंसे शरीर
 
घावोॅ सेॅ छै भरलोॅ
 
घावोॅ सेॅ छै भरलोॅ
तैय्योॅ तैयार ।
+
तैय्योॅ तैयार।
  
 
8. तोरो उद्देश्य  
 
8. तोरो उद्देश्य  
 
पूरा करै खातिर
 
पूरा करै खातिर
हम्में जीवित ।
+
हम्में जीवित।
  
 
तांका
 
तांका
 
1. आवाज होलै
 
1. आवाज होलै
 
पांचजन्य शंखोॅ के
 
पांचजन्य शंखोॅ के
रथ हाजिर ।
+
रथ हाजिर।
 
दारूक सारथी छै
 
दारूक सारथी छै
सात्यकि सवार छै ।
+
सात्यकि सवार छै।
  
 
2. घोराक्रमण
 
2. घोराक्रमण
 
सात्यकि करलकै
 
सात्यकि करलकै
कर्ण ऊपर ।
+
कर्ण ऊपर।
 
बड़ी कुशलता सें
 
बड़ी कुशलता सें
युद्ध तत्परता सें ।
+
युद्ध तत्परता सें।
  
 
3. रण कौशल
 
3. रण कौशल
 
देखै लेॅ देवता तेॅ
 
देखै लेॅ देवता तेॅ
जौरोॅ नभ में ।
+
जौरोॅ नभ में।
 
घोड़ा आरु सारथी
 
घोड़ा आरु सारथी
 
कर्ण के मरैलोॅ छै
 
कर्ण के मरैलोॅ छै
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4. रथ के ध्वजा
 
4. रथ के ध्वजा
 
कटी केॅ धरती पेॅ
 
कटी केॅ धरती पेॅ
पल भर में ।
+
पल भर में।
 
रथोॅ चकनाचूर
 
रथोॅ चकनाचूर
तैय्योॅ जोश भरपूर ।
+
तैय्योॅ जोश भरपूर।
  
 
5. कर्ण चढ़लै
 
5. कर्ण चढ़लै
 
दुर्योधन रथोॅ पेॅ
 
दुर्योधन रथोॅ पेॅ
शस्त्र प्रहार ।
+
शस्त्र प्रहार।
 
छै युद्ध घमासान
 
छै युद्ध घमासान
अर्जुन परेशान ।
+
अर्जुन परेशान।
  
 
6. अर्जुन ऐलै
 
6. अर्जुन ऐलै
 
जयद्रथ के पास
 
जयद्रथ के पास
क्रोधोॅ में आग ।
+
क्रोधोॅ में आग।
 
अभिमन्यु के वध याद
 
अभिमन्यु के वध याद
नै सुनै परियाद ।
+
नै सुनै परियाद।
  
 
7. गांडीव धनु
 
7. गांडीव धनु
 
भयंकर टंकार
 
भयंकर टंकार
प्रार्थ प्रहार ।
+
प्रार्थ प्रहार।
 
महाकाल समान
 
महाकाल समान
शत्राु सेना हैरान ।
+
शत्राु सेना हैरान।
  
 
8. विख्यात योद्धा
 
8. विख्यात योद्धा
 
जयद्रथ भी छेलै
 
जयद्रथ भी छेलै
डटले रहै ।
+
डटले रहै।
 
हराना सुगम नै
 
हराना सुगम नै
युद्ध खतम भी नै ।
+
युद्ध खतम भी नै।
  
 
9. अस्ताचल में
 
9. अस्ताचल में
 
सूरज केॅ देखी केॅ
 
सूरज केॅ देखी केॅ
आनन्द होलै ।
+
आनन्द होलै।
 
दुर्योधन मनों मे
 
दुर्योधन मनों मे
 
वू विफल क्षणों में।
 
वू विफल क्षणों में।
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10. अंधेरा छेलै
 
10. अंधेरा छेलै
 
लागै सूर्य डूबलै
 
लागै सूर्य डूबलै
अर्जुनोदास ।
+
अर्जुनोदास।
 
कानाफूसी होलै
 
कानाफूसी होलै
जयद्रथोॅ नै मरलै ।
+
जयद्रथोॅ नै मरलै।
  
 
11. कौरव सेना
 
11. कौरव सेना
 
खुशी सेॅ माती गेलै
 
खुशी सेॅ माती गेलै
सूर्यास्त होलै ।
+
सूर्यास्त होलै।
 
पार्थ विफल होलै
 
पार्थ विफल होलै
जयद्रथ बचलै ।
+
जयद्रथ बचलै।
  
 
12. कृष्ण बोललै
 
12. कृष्ण बोललै
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सूर्य डूबलोॅ
 
सूर्य डूबलोॅ
 
मतर छै उगलै
 
मतर छै उगलै
सेना शांत हो गेलै ।
+
सेना शांत हो गेलै।
  
 
13. मौका नै छोड़ोॅ
 
13. मौका नै छोड़ोॅ
 
दुवारा तेॅ नै ऐथौं
 
दुवारा तेॅ नै ऐथौं
प्रण निभावोॅ ।
+
प्रण निभावोॅ।
 
कान में बात ऐलै
 
कान में बात ऐलै
गांडीव वाण छुटलै ।
+
गांडीव वाण छुटलै।
  
 
14. उड़लै सिर
 
14. उड़लै सिर
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जाय गिरलै
 
जाय गिरलै
 
वृद्ध क्षत्रा के गोदी
 
वृद्ध क्षत्रा के गोदी
देखै नजर खोली ।
+
देखै नजर खोली।
  
 
15. वू घबराय
 
15. वू घबराय
 
उठै धड़फड़ाय
 
उठै धड़फड़ाय
भू पै गिराय ।
+
भू पै गिराय।
 
वृद्ध क्षत्रा के सिर
 
वृद्ध क्षत्रा के सिर
सौ टुकड़े में थिर ।
+
सौ टुकड़े में थिर।
  
 
16. विजय घोष
 
16. विजय घोष
 
पांडवे शंख फूकै
 
पांडवे शंख फूकै
ध्वनि सुनी केॅ ।
+
ध्वनि सुनी केॅ।
 
युधिष्ठिर आनन्द
 
युधिष्ठिर आनन्द
कौरव दल मंद ।
+
कौरव दल मंद।
  
 
17. पांडव सेना
 
17. पांडव सेना
 
द्रोण पर टूटलै
 
द्रोण पर टूटलै
चौदहवां दिन ।
+
चौदहवां दिन।
 
तेॅ रात भर युद्ध  
 
तेॅ रात भर युद्ध  
छै नियम विरुद्ध ।
+
छै नियम विरुद्ध।
  
 
कुंडलियाँ-
 
कुंडलियाँ-
जयद्रथ केॅ बचाय लेॅ, रहलै कर्ण भरोस ।
+
जयद्रथ केॅ बचाय लेॅ, रहलै कर्ण भरोस।
परीक्षा में फेल होय, कर्ण खुशी न परोस ।
+
परीक्षा में फेल होय, कर्ण खुशी न परोस।
कर्ण खुशी न परोस, लगाय जान के बाजी ।
+
कर्ण खुशी न परोस, लगाय जान के बाजी।
जहाँ कृष्ण मायावी, व्यंर्थ वीर सेना साजी ।
+
जहाँ कृष्ण मायावी, व्यंर्थ वीर सेना साजी।
उल्लंघन विधि नियम, अभिमन्यु वध भीमों रथ ।
+
उल्लंघन विधि नियम, अभिमन्यु वध भीमों रथ।
अधर्म के जोर सेॅ, ‘राम’ बधैलै जयद्रथ ।
+
अधर्म के जोर सेॅ, ‘राम’ बधैलै जयद्रथ।
  
 
युधिष्ठिर केॅ जीवित हाजिर करैलेॅ  
 
युधिष्ठिर केॅ जीवित हाजिर करैलेॅ  
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दोहा-
 
दोहा-
 
अभिमन्यु के मरला पर पांडव शोक मनाय  
 
अभिमन्यु के मरला पर पांडव शोक मनाय  
द्रौपदी छेलै व्याकुल, कौरव अति हरसाय ।
+
द्रौपदी छेलै व्याकुल, कौरव अति हरसाय।
  
 
चौहदवां दिन अर्जुन सेॅ दुर्योधन परेशान
 
चौहदवां दिन अर्जुन सेॅ दुर्योधन परेशान
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1. ठंडा दिमाग
 
1. ठंडा दिमाग
 
चतुराई भरलोॅ
 
चतुराई भरलोॅ
कर्ण निर्भय ।
+
कर्ण निर्भय।
  
 
2. भीमसेन में
 
2. भीमसेन में
 
अमानुषिक बल
 
अमानुषिक बल
पगला जोश ।
+
पगला जोश।
  
 
3. लहू के धार
 
3. लहू के धार
 
घाव भरलो तन
 
घाव भरलो तन
जोशीला मन ।
+
जोशीला मन।
  
 
ताँका-
 
ताँका-
 
1. कर्ण के रथ
 
1. कर्ण के रथ
 
तेॅ तहस नहस
 
तेॅ तहस नहस
भीमसेन ने ।
+
भीमसेन ने।
 
घोड़ा मारलकै
 
घोड़ा मारलकै
धनुष काटलकै ।
+
धनुष काटलकै।
  
 
2. भागलै कर्ण
 
2. भागलै कर्ण
 
दोसरोॅ रथ चढ़ै
 
दोसरोॅ रथ चढ़ै
कांति विलुप्त ।
+
कांति विलुप्त।
 
चेहरा क्रोधानल
 
चेहरा क्रोधानल
छुब्ध बाड़वानल ।
+
छुब्ध बाड़वानल।
  
 
3. कर्ण धुनष
 
3. कर्ण धुनष
 
फेरु कटिये गेलै
 
फेरु कटिये गेलै
सारथी गिरलै ।
+
सारथी गिरलै।
 
कर्ण ‘शक्ति’ प्रयोग
 
कर्ण ‘शक्ति’ प्रयोग
भीमें रोके के उद्योग ।
+
भीमें रोके के उद्योग।
  
 
4. कर्ण हालत
 
4. कर्ण हालत
 
दयनीय ‘दुर्जय’
 
दयनीय ‘दुर्जय’
भीम सामना ।
+
भीम सामना।
 
भीमसेन क्रोधित
 
भीमसेन क्रोधित
‘दुर्जय’ भूलुंठित ।
+
‘दुर्जय’ भूलुंठित।
  
 
5. रथ टूटलै
 
5. रथ टूटलै
 
अन्य रथ सवार
 
अन्य रथ सवार
फेनु भिड़लै ।
+
फेनु भिड़लै।
 
कर्ण बाण चललै
 
कर्ण बाण चललै
भीम क्रोध भरलै ।
+
भीम क्रोध भरलै।
  
 
6. भीम प्रहार
 
6. भीम प्रहार
 
रथ, घोड़ा, सारथी,
 
रथ, घोड़ा, सारथी,
ढेर हो गेलै ।
+
ढेर हो गेलै।
 
ध्वजा भी तेॅ टुटलै
 
ध्वजा भी तेॅ टुटलै
विरथ हो लड़लै ।
+
विरथ हो लड़लै।
  
 
7. भाई ‘दुर्मुख’
 
7. भाई ‘दुर्मुख’
 
दुर्योधन के आज्ञा
 
दुर्योधन के आज्ञा
ऐतैं घायल ।
+
ऐतैं घायल।
 
कवच फाटी गेलै
 
कवच फाटी गेलै
दुर्मुख मृत होलै ।
+
दुर्मुख मृत होलै।
  
 
8. आँख आंसू सेॅ
 
8. आँख आंसू सेॅ
 
भरलै, कर्ण शांत
 
भरलै, कर्ण शांत
पैनों बाण से ।
+
पैनों बाण से।
 
कर्ण कवच टुटलै
 
कर्ण कवच टुटलै
असह्य पीड़ा होलै ।
+
असह्य पीड़ा होलै।
  
 
9. बाणों के वर्षा
 
9. बाणों के वर्षा
 
कर्णें तेॅ करलकै
 
कर्णें तेॅ करलकै
भीम घायल ।
+
भीम घायल।
 
तैय्योॅ कर्णों ऊपर
 
तैय्योॅ कर्णों ऊपर
बाण वर्षा सें तर ।
+
बाण वर्षा सें तर।
  
 
10. घाव सेॅ पीड़ा
 
10. घाव सेॅ पीड़ा
 
दिल व्यथा भरलोॅ
 
दिल व्यथा भरलोॅ
असह्य होलै ।
+
असह्य होलै।
 
मैदान सें हटलै
 
मैदान सें हटलै
भीम जय बोललै ।
+
भीम जय बोललै।
  
 
दोहा-
 
दोहा-
 
कर्ण सुनलकै भीम सें, बड़ी खुशी जय घोष  
 
कर्ण सुनलकै भीम सें, बड़ी खुशी जय घोष  
जागलै अभिमानी कर्णों के, स्वाभिमानी सह जोश ।
+
जागलै अभिमानी कर्णों के, स्वाभिमानी सह जोश।
  
 
जैतैं-जैतैं लौटले, लड़ाई के विचार  
 
जैतैं-जैतैं लौटले, लड़ाई के विचार  
मैदान में डटी गेलै, तजी घाव उपचार ।
+
मैदान में डटी गेलै, तजी घाव उपचार।
  
 
कर्ण केॅ हारतें देखि, दुर्योधन पछताय  
 
कर्ण केॅ हारतें देखि, दुर्योधन पछताय  
दुर्मद, दुःसह, दुर्द्धष, लड़े भीम से जाय ।
+
दुर्मद, दुःसह, दुर्द्धष, लड़े भीम से जाय।
  
 
पाँचोॅ कौरव कर्ण केॅ, करलकै घोर बचाव  
 
पाँचोॅ कौरव कर्ण केॅ, करलकै घोर बचाव  
भीम पर टूटी पड़लै, तीखोॅ बाण भेजाव ।
+
भीम पर टूटी पड़लै, तीखोॅ बाण भेजाव।
  
 
कुंडलिया-
 
कुंडलिया-
 
गुस्सा होलै भीम केॅ, पाँच भेज यमलोक  
 
गुस्सा होलै भीम केॅ, पाँच भेज यमलोक  
ई देखी केॅ कर्ण केॅ मन में होलै शोक ।
+
ई देखी केॅ कर्ण केॅ मन में होलै शोक।
 
मन में होलै शोक, कठिन युद्ध करेॅ लागलै  
 
मन में होलै शोक, कठिन युद्ध करेॅ लागलै  
भीम बाण बौछार, अश्व, सारथी मरि गेलै ।
+
भीम बाण बौछार, अश्व, सारथी मरि गेलै।
 
रथ विहीन कर्ण ने, युद्ध बनैलकै खिस्सा  
 
रथ विहीन कर्ण ने, युद्ध बनैलकै खिस्सा  
कर्ण गदा केॅ रोकि, भीम देखैलकै गुस्सा ।
+
कर्ण गदा केॅ रोकि, भीम देखैलकै गुस्सा।
  
 
भीम बाण बौछार सेॅ, कर्ण मानलक हार  
 
भीम बाण बौछार सेॅ, कर्ण मानलक हार  
पीठ दिखाय केॅ भागै, होलै शोक अपार ।
+
पीठ दिखाय केॅ भागै, होलै शोक अपार।
 
होलै शोक अपार ऐलै सात कर्ण सहाय  
 
होलै शोक अपार ऐलै सात कर्ण सहाय  
रण कुशलता विलक्षणे, देलकै निन सुताय ।
+
रण कुशलता विलक्षणे, देलकै निन सुताय।
 
कर्ण आँखी में आँसू, मुँहों पर क्रोध असीम  
 
कर्ण आँखी में आँसू, मुँहों पर क्रोध असीम  
अन्य-रथ-कर्ण ‘राम’, भयानक पराक्रम भीम ।
+
अन्य-रथ-कर्ण ‘राम’, भयानक पराक्रम भीम।
  
 
दोहा-
 
दोहा-
 
अठारह धनुष कर्ण के, भीमें काट गिराय  
 
अठारह धनुष कर्ण के, भीमें काट गिराय  
कर्ण सतर्कता, शान्ति, पल में गेल हेराय ।
+
कर्ण सतर्कता, शान्ति, पल में गेल हेराय।
  
 
उत्तेजित हो कर्ण ने, करै भयानक वार  
 
उत्तेजित हो कर्ण ने, करै भयानक वार  
रथ, सारथी, भीम के, टुटि भेल तार-तार ।
+
रथ, सारथी, भीम के, टुटि भेल तार-तार।
  
 
असीम क्रोधी भीम जी, हो कर्ण रथ सवार  
 
असीम क्रोधी भीम जी, हो कर्ण रथ सवार  
रथ केरोॅ ध्वज स्तम्भ सेॅ, कर्ण करै झट वार ।
+
रथ केरोॅ ध्वज स्तम्भ सेॅ, कर्ण करै झट वार।
  
 
भीम नीचें कुदि गेलै, गजों घूसी बचाय  
 
भीम नीचें कुदि गेलै, गजों घूसी बचाय  
ओटोॅ सें विलच्छन रण, कर्ण केॅ नै दिखाय ।
+
ओटोॅ सें विलच्छन रण, कर्ण केॅ नै दिखाय।
  
 
निहत्था तेॅ जानी केॅ, कर्ण छोड़लक भीम  
 
निहत्था तेॅ जानी केॅ, कर्ण छोड़लक भीम  
माय वचन याद होलै, मूरख पेटू भीम ।
+
माय वचन याद होलै, मूरख पेटू भीम।
  
 
कृष्णें भीमों केॅ देखि, अर्जुन केॅ बतलाय  
 
कृष्णें भीमों केॅ देखि, अर्जुन केॅ बतलाय  
क्रोध करी केॅ अर्जुन ने, गांडीव धनु चलाय ।
+
क्रोध करी केॅ अर्जुन ने, गांडीव धनु चलाय।
  
 
कर्ण लाचार होय केॅ, युद्ध सेॅ हटी जाय  
 
कर्ण लाचार होय केॅ, युद्ध सेॅ हटी जाय  
अर्जुन, भीम, कृष्ण आदि, दुर्योधन मन दुखाय ।
+
अर्जुन, भीम, कृष्ण आदि, दुर्योधन मन दुखाय।
 
</poem>
 
</poem>

12:43, 12 जुलाई 2017 के समय का अवतरण

जयद्रथ वध

हायकू
1. अर्जुन प्रण
सूरज अस्त तांय
जयद्रथ वध।

2. भाग्य निर्णय
दुर्योधन बोललै
वीर कर्ण सें।

3. मूर्ख अर्जुन
आपनों सर्वनाश
प्रण करि केॅ।

4. सुअवसर
भाग्योदय सूचक
चुकोॅ नै कर्ण।

5. रण कुशलता
परिचय देय केॅ
तोरोॅ परीक्षा।

6. बड़ी थकलोॅ
भीम साथें युद्धों में
कर्ण बोललै।

7. सौंसे शरीर
घावोॅ सेॅ छै भरलोॅ
तैय्योॅ तैयार।

8. तोरो उद्देश्य
पूरा करै खातिर
हम्में जीवित।

तांका
1. आवाज होलै
पांचजन्य शंखोॅ के
रथ हाजिर।
दारूक सारथी छै
सात्यकि सवार छै।

2. घोराक्रमण
सात्यकि करलकै
कर्ण ऊपर।
बड़ी कुशलता सें
युद्ध तत्परता सें।

3. रण कौशल
देखै लेॅ देवता तेॅ
जौरोॅ नभ में।
घोड़ा आरु सारथी
कर्ण के मरैलोॅ छै

4. रथ के ध्वजा
कटी केॅ धरती पेॅ
पल भर में।
रथोॅ चकनाचूर
तैय्योॅ जोश भरपूर।

5. कर्ण चढ़लै
दुर्योधन रथोॅ पेॅ
शस्त्र प्रहार।
छै युद्ध घमासान
अर्जुन परेशान।

6. अर्जुन ऐलै
जयद्रथ के पास
क्रोधोॅ में आग।
अभिमन्यु के वध याद
नै सुनै परियाद।

7. गांडीव धनु
भयंकर टंकार
प्रार्थ प्रहार।
महाकाल समान
शत्राु सेना हैरान।

8. विख्यात योद्धा
जयद्रथ भी छेलै
डटले रहै।
हराना सुगम नै
युद्ध खतम भी नै।

9. अस्ताचल में
सूरज केॅ देखी केॅ
आनन्द होलै।
दुर्योधन मनों मे
वू विफल क्षणों में।

10. अंधेरा छेलै
लागै सूर्य डूबलै
अर्जुनोदास।
कानाफूसी होलै
जयद्रथोॅ नै मरलै।

11. कौरव सेना
खुशी सेॅ माती गेलै
सूर्यास्त होलै।
पार्थ विफल होलै
जयद्रथ बचलै।

12. कृष्ण बोललै
जयद्रथोॅ मनों में
सूर्य डूबलोॅ
मतर छै उगलै
सेना शांत हो गेलै।

13. मौका नै छोड़ोॅ
दुवारा तेॅ नै ऐथौं
प्रण निभावोॅ।
कान में बात ऐलै
गांडीव वाण छुटलै।

14. उड़लै सिर
जयद्रथ वीरोॅ के
जाय गिरलै
वृद्ध क्षत्रा के गोदी
देखै नजर खोली।

15. वू घबराय
उठै धड़फड़ाय
भू पै गिराय।
वृद्ध क्षत्रा के सिर
सौ टुकड़े में थिर।

16. विजय घोष
पांडवे शंख फूकै
ध्वनि सुनी केॅ।
युधिष्ठिर आनन्द
कौरव दल मंद।

17. पांडव सेना
द्रोण पर टूटलै
चौदहवां दिन।
तेॅ रात भर युद्ध
छै नियम विरुद्ध।

कुंडलियाँ-
जयद्रथ केॅ बचाय लेॅ, रहलै कर्ण भरोस।
परीक्षा में फेल होय, कर्ण खुशी न परोस।
कर्ण खुशी न परोस, लगाय जान के बाजी।
जहाँ कृष्ण मायावी, व्यंर्थ वीर सेना साजी।
उल्लंघन विधि नियम, अभिमन्यु वध भीमों रथ।
अधर्म के जोर सेॅ, ‘राम’ बधैलै जयद्रथ।

युधिष्ठिर केॅ जीवित हाजिर करैलेॅ
दुर्योधनें द्रोण केॅ कहने छेलै,
द्रोण जोश में आवी केॅ
रणभूमि में तहलका मचैने छेलै।

सेनासिनी केॅ तहस-नहस करी केॅ
युधिष्ठिर के नजदीक पहुँचलै,
ई दृश्य देखी दुर्योधन
बड़ी खुश हो बोललै।

राधेय ! आचार्य द्रोण के भीषण पराक्रम
पांडव सेना बेहाल छै देखी केॅ घटना क्रम।

हमरा तेॅ आवेॅ बुझावै छै होतै सफल हमरोॅ श्रम
पांडव आवेॅ जरूरे हारतै होय केॅ बेदम।

ई सुनी केॅ कर्ण केॅ अच्छा नै लागलै
सुनोॅ दुर्योधन ! पांडव केॅ हराना आसान नै छै।

देखोॅ आचार्य पर
कैसनों कठोर हमला करने छै,
महान वीर तेॅ छै हुन्हीं,
मतर सहनशक्ति के सीमा छै।

कई भेड़िया मिली केॅ हाथी केॅ भी मारी दै छै,
ऐ लेली आचार्य केॅ अकेलोॅ छोड़ना नै छै।

दुर्योधन केॅ कर्णें जबेॅ ई तरह समझाय छै,
तबेॅ द्रोण सहायता में वीर कर्ण जाय छै।

अभिमन्यु छेलै पुत्रा अर्जुन के,
भेद जानै छेलै चक्रव्यूह तोड़ै के।

द्रोणाचार्य के रथ-ध्वजा देखी केॅ
तेजी सेॅ रथ हाँकै लेॅ उसकैलकै सारथी केॅ।

आज्ञा मानी केॅ सारथी रथ बढ़ैलकै
पीछु-पीछु पांडव वीर चली देलकै।

हुनका देखी केॅ कौरव सेना दहली उठलै
ई तेॅ अर्जुन सेॅ भी बड़ोॅ वीर मालूम पड़लै।

अभिमन्यु के रथ धड़धड़ैलोॅ शत्राु सेना में घुसलै
जैसें शेर के बच्चा हाथी झुण्डोॅ पर झपटलै।

कौरव सेना में भँवर ऐसनें आवी गेलै
जेना बड़ोॅ नदी के मिलला पर समुद्रोॅ में आवै छै।

चक्रव्यूह तेॅ द्रोणाचार्य के टूटिये गेलै
अभिमन्यु वोकरोॅ अंदर घूसिये गेलै।

कौरव सेना एक-एक करी के यमधाम चललोॅ गेलै
जेना आग में पड़ी केॅ पतंग सिनी जली गेलै।

कौरव सेना के लाश युद्ध क्षेत्रा में बिछी गेलै
कटलोॅ लाश, फटलोॅ सिर, मिट्टी नै देखै में ऐलै।

वीर बालक अभिमन्यु ने
सर्वनाश तेॅ करी देलकै,
क्रोधोॅ में आवी केॅ दुर्योधन
बालक सेॅ भीड़ी गेलै।

कुमुक सेना केॅ द्रोणाचार्य ने भेजलकै
दुर्योधन केॅ अभिमन्यु सेॅ छोड़लकै।

अभिमन्यु के यहै दुःखें बड़ी सतैलकै
हाथोॅ में ऐलोॅ शिकार छुटी गेलै।

कौरव सेना ई हालत देखी केॅ
युद्ध धर्म आरू लज्जा तियागी केॅ।

बहुत वीर टूटी पड़लै एक साथ हो केॅ
जेना समुद्री लहर लोटै छै तट टकराय केॅ।

सात महारथी चारों तरफोॅ सेॅ
हमला करलकै,
अशमख राजा मरलै,
कर्ण के अभेद्य कवच केॅ छेदलकै।

बुरी तरह कर्ण केॅ भी धायल करलकै
वीर बालक के कुशलता द्रोण आँख खोली देलकै।

द्रोणें कृपाचार्य सेॅ अभिमन्यु के प्रशंसा करलकै
यै बालक के समानता करै वाला कोय वीर नै छै।

प्रशंसा सुनत्हैं दुर्योधन क्रोधाग्नि में जललै
दुःशासन अभिमन्यु पर वाण बरसावेॅ लागलै।

दुःशासन भी घायल हो रथ में गिरलै
चतुर सारथी रणक्षेत्रा से रथ लै भागलै।

पाण्डव सेना खुशी सेॅ उमताइये गेलै
जय-जयकार अभिमन्यु के करेॅ लागलै।

महाबली कर्णें फेनु सें हमला करलकै
अभिमन्यु के पहिने वू परेशान करलकै।

घबड़ैलै नै, निशाना ताकी केॅ बाण चलैलकै
कर्ण के धनुष काटी केॅ गिरैलकै।

सेना सहित कर्ण क्षेत्रा से दूर भागलै
कर्ण के ई हाल देखी कौरव सेना छितरैलै।

द्रोणें सेना केॅ डटलोॅ रहै लेॅ उसकैने छेलै
मतर सेना डटै के साहस नै करेॅ सकलै।

दोसरोॅ दिन होलै युद्ध घमासान
कौरव सेना के फेनु टूटलै अभिमान।

दुर्योधन सुत लक्ष्मण गिरलै मैदान
मच गेलै हाहाकार, मिटी गेलै शानं

छः महारथी अभिमन्यु सेॅ
चारोॅ तरफोॅ सेॅ घेरी लेलकै,
द्रोणाचार्य कर्ण सेॅ बोललै
निशाना बांधी केॅ अश्वरास काटै लै।

पीछु सें अस्त्र चलाय लेॅ कहलकै
सूर्य कुमार वीर कर्णें वेहेॅ करलकै।

अभिमन्यु के धनुष काटी देलकै
घोड़हौ, सारथी केॅ मारी देलकै।

रथविहीन, धनुषहीन, शान सेॅ डटलै
ढाल, तलवार सेॅ रणकौशल देखैलकै।

द्रोणाचार्य ने वोकरोॅ तलवार काटलकै
कर्णें तेज वाण सेॅ ढाल तोड़लकै।

अभिमन्यु के युद्ध भयानक
सब विपक्षी सेना टूटलै अचानकं

रथ पहिया सेॅ युद्ध धकाधक
दुःशासन सुतें सिर पर पटकलकै गदा जान मारक।

घायल अभिमन्यु थकी केॅ चूर
गदा मार लगतैं प्राण उड़लै फूर।

नभचारी पक्षी चीखै, लड़ैके नै लूर
युयुत्सु तेॅ क्रोध सेॅ भरपूर।

बोली उठलै, लज्जा सें सिर झुकाव
सिंह नाद करै छोॅ राखी मनमुटाव।

पाप करल्हेॅ, भारी संकट बुलाव
धिक्कार छै वीरोॅ केॅ, आनंद नै मनाव।

दोहा-
अभिमन्यु के मरला पर पांडव शोक मनाय
द्रौपदी छेलै व्याकुल, कौरव अति हरसाय।

चौहदवां दिन अर्जुन सेॅ दुर्योधन परेशान
दुर्योधन आरो द्रोण में वाकयुद्ध घमासान।

नौसिखुवा सें तोंय पैभेॅ नै कहियोॅ त्राण
सोची समझी केॅ सम्हालोॅ तीर कमान।

यही दिना भीम सेॅ कर्ण भिड़लै
युद्ध तेॅ रोमांचकारी ही छेलै।

भीम, अर्जुन के पास जाय लेॅ चाहै छेलै
कर्णें, भीम केॅ आगू जाय सें रोकने छेलै।

बाण बौछार करी केॅ कर्णें रास्ता रोकी देलकै
मजाक उड़ाय केॅ हँसी केॅ जोरोॅ सेॅ कहलकै।

भीमों केॅ कर्णें सम्हलै लेॅ कहलकै
रण में पीठ देखाय के काम बीरोॅ के नै छेकै।

भीम तलमलाय गेलै कर्ण के कटु चुटकी पर
भीम क्रोधोॅ में झपटी पड़लै कर्णों पर।

घोर प्रहार करै छेलै एकें दोसरा के ऊपर
कर्ण हंसी-हंसी केॅ बाण छोड़ै छेलै भीमों पर

भीम भी तेॅ कम नै, बड़ी उग्रता सेॅ लड़ै छेलै
कर्ण दूरोॅ से ही भीमों पर बाण बरसावै छेलै।

बाण वर्षा के परवाह, भीमें नै करै छेलै
कर्ण के पास जाय लेॅ भीमें भी चाहै छेलै।

अविचलित आरो अनुत्तेजित तेॅ कर्ण छेलै
भीम उत्तेजित आरु उग्रता के मूर्ति छेलै।

कर्ण में धीरता, व्यवस्था आरु शान्ति छेलै
भीम थोड़ेॅ अपमान सेॅ अशान्त होलोॅ छेलै।

हायकू
1. ठंडा दिमाग
चतुराई भरलोॅ
कर्ण निर्भय।

2. भीमसेन में
अमानुषिक बल
पगला जोश।

3. लहू के धार
घाव भरलो तन
जोशीला मन।

ताँका-
1. कर्ण के रथ
तेॅ तहस नहस
भीमसेन ने।
घोड़ा मारलकै
धनुष काटलकै।

2. भागलै कर्ण
दोसरोॅ रथ चढ़ै
कांति विलुप्त।
चेहरा क्रोधानल
छुब्ध बाड़वानल।

3. कर्ण धुनष
फेरु कटिये गेलै
सारथी गिरलै।
कर्ण ‘शक्ति’ प्रयोग
भीमें रोके के उद्योग।

4. कर्ण हालत
दयनीय ‘दुर्जय’
भीम सामना।
भीमसेन क्रोधित
‘दुर्जय’ भूलुंठित।

5. रथ टूटलै
अन्य रथ सवार
फेनु भिड़लै।
कर्ण बाण चललै
भीम क्रोध भरलै।

6. भीम प्रहार
रथ, घोड़ा, सारथी,
ढेर हो गेलै।
ध्वजा भी तेॅ टुटलै
विरथ हो लड़लै।

7. भाई ‘दुर्मुख’
दुर्योधन के आज्ञा
ऐतैं घायल।
कवच फाटी गेलै
दुर्मुख मृत होलै।

8. आँख आंसू सेॅ
भरलै, कर्ण शांत
पैनों बाण से।
कर्ण कवच टुटलै
असह्य पीड़ा होलै।

9. बाणों के वर्षा
कर्णें तेॅ करलकै
भीम घायल।
तैय्योॅ कर्णों ऊपर
बाण वर्षा सें तर।

10. घाव सेॅ पीड़ा
दिल व्यथा भरलोॅ
असह्य होलै।
मैदान सें हटलै
भीम जय बोललै।

दोहा-
कर्ण सुनलकै भीम सें, बड़ी खुशी जय घोष
जागलै अभिमानी कर्णों के, स्वाभिमानी सह जोश।

जैतैं-जैतैं लौटले, लड़ाई के विचार
मैदान में डटी गेलै, तजी घाव उपचार।

कर्ण केॅ हारतें देखि, दुर्योधन पछताय
दुर्मद, दुःसह, दुर्द्धष, लड़े भीम से जाय।

पाँचोॅ कौरव कर्ण केॅ, करलकै घोर बचाव
भीम पर टूटी पड़लै, तीखोॅ बाण भेजाव।

कुंडलिया-
गुस्सा होलै भीम केॅ, पाँच भेज यमलोक
ई देखी केॅ कर्ण केॅ मन में होलै शोक।
मन में होलै शोक, कठिन युद्ध करेॅ लागलै
भीम बाण बौछार, अश्व, सारथी मरि गेलै।
रथ विहीन कर्ण ने, युद्ध बनैलकै खिस्सा
कर्ण गदा केॅ रोकि, भीम देखैलकै गुस्सा।

भीम बाण बौछार सेॅ, कर्ण मानलक हार
पीठ दिखाय केॅ भागै, होलै शोक अपार।
होलै शोक अपार ऐलै सात कर्ण सहाय
रण कुशलता विलक्षणे, देलकै निन सुताय।
कर्ण आँखी में आँसू, मुँहों पर क्रोध असीम
अन्य-रथ-कर्ण ‘राम’, भयानक पराक्रम भीम।

दोहा-
अठारह धनुष कर्ण के, भीमें काट गिराय
कर्ण सतर्कता, शान्ति, पल में गेल हेराय।

उत्तेजित हो कर्ण ने, करै भयानक वार
रथ, सारथी, भीम के, टुटि भेल तार-तार।

असीम क्रोधी भीम जी, हो कर्ण रथ सवार
रथ केरोॅ ध्वज स्तम्भ सेॅ, कर्ण करै झट वार।

भीम नीचें कुदि गेलै, गजों घूसी बचाय
ओटोॅ सें विलच्छन रण, कर्ण केॅ नै दिखाय।

निहत्था तेॅ जानी केॅ, कर्ण छोड़लक भीम
माय वचन याद होलै, मूरख पेटू भीम।

कृष्णें भीमों केॅ देखि, अर्जुन केॅ बतलाय
क्रोध करी केॅ अर्जुन ने, गांडीव धनु चलाय।

कर्ण लाचार होय केॅ, युद्ध सेॅ हटी जाय
अर्जुन, भीम, कृष्ण आदि, दुर्योधन मन दुखाय।