भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"हम तो से पूछींला जुलूमी सिपहिया / विजेन्द्र अनिल" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजेन्द्र अनिल |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 6: पंक्ति 6:
 
}}
 
}}
 
{{KKCatGeet}}
 
{{KKCatGeet}}
 +
{{KKCatBhojpuriRachna}}
 
<poem>
 
<poem>
 
हम तो से पूछींला जुलूमी सिपहिया, बता दे हमके ना।
 
हम तो से पूछींला जुलूमी सिपहिया, बता दे हमके ना।

18:13, 14 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

हम तो से पूछींला जुलूमी सिपहिया, बता दे हमके ना।
          काहे गोलिया चलवले बता दे हमके ना।
       
       हमरो बलमुआ न चोर-बटमारवा
       जाँगर ठेठाइ आपन पाले परिवारवा
 
केकरा हुकुमवा से खूनवा बहवले, बता दे हमके ना।
          काहे खूनवा बहवले, बता दे हमके ना।
        
       मरि-मरि खेतवा में अन्न उपजवनीं,
       जिनिगी में बनल रहनीं तबो हम पवनी

कवना कनूनिया से अगिया लगवले, बता दे हमके ना।
          काहे अगिया लगवले, बता दे हमके ना।
 
       अब बरदास नहीं होत फजीहतिया
       तोहरो अजदिया, हमार भइल रतिया

अपने मतरिया प तनले बनूकिया, बता दे हमके ना
          काहे तनलें बनूकिया बता दे हमके ना।

हम तो से पूछींला जुलूमी सिपहिया, बता दे हमके ना
          काहे गोलिया चलवले, बता दे हमके ना।
                                                                      
रचनाकाल : 18.11.1981