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केवल तुम / रामनरेश पाठक
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18:17, 22 अक्टूबर 2017
गढ़े गए थे तुम
संसृति-विस्तार की कृष्ण
चुडाओं
चुड़ाओं
को छूकर
कोमल पाँव आगे बढ़े थे
सारे सपने रेखाओं में सिमट गए थे
सारे रतन पाँवों में सिमट गए थे
प्रश्नों
प्रश्न
उगे थे
अंधकार के फूलों के लिए
विरागी यौवन के मधु के लिए
Anupama Pathak
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