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"अपने महबूब से / चेतन दुबे 'अनिल'" के अवतरणों में अंतर

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कि जितना बेवफ़ा समझा था
 
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तुम उससे अधिक निकले।  
 
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तुम्हारी झील - सी गहरी  
 
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इन आँखों की इनायत है।
 
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तुम्हारी ही गली के मोड़ पर
 
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मेरे कदम फिसले।  
 
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ये मेरी भूल थी जो  
 
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मैंने तुमको बेवफ़ा समझा
 
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मगर तुम बेवफ़ाओं  
 
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से भी आगे दो कदम निकले
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तुम्हारे प्यार की
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तासीर में  
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तुम्हारे प्यार की तासीर में  
 
बेचैन मेरा दिल
 
बेचैन मेरा दिल
 
यही ख्वाहिश।  
 
यही ख्वाहिश।  

18:57, 2 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण

तुम्हारे सामने तुमसे
तुम्हारी ही शिकायत है
कि जितना बेवफ़ा समझा था
तुम उससे अधिक निकले।

तुम्हारी झील - सी गहरी
इन आँखों की इनायत है।
तुम्हारी ही गली के मोड़ पर
मेरे कदम फिसले।

ये मेरी भूल थी जो
मैंने तुमको बेवफ़ा समझा
मगर तुम बेवफ़ाओं
से भी आगे दो कदम निकले।

तुम्हारे प्यार की तासीर में
बेचैन मेरा दिल
यही ख्वाहिश।
तुम्हारे द्वार पर ही
मेरा दम निकले।