भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पहली फुहार / राजीव रंजन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजीव रंजन |अनुवादक= |संग्रह=पिघल...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
की नयी परिभाशा | की नयी परिभाशा | ||
सूखे प्यार में लौटी फिर से बहार। | सूखे प्यार में लौटी फिर से बहार। | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
</poem> | </poem> |
14:34, 9 नवम्बर 2017 के समय का अवतरण
सूखे तन-मन को हरा-भरा करती
आयी बारिश की पहली फुहार।
फिजाओं में फिर गुँजा जीवन-राग
हवाएँ भी गाने लगी राग-मल्हार।
बादल और धरती ने गढ़ी संबंधों
की नयी परिभाशा
सूखे प्यार में लौटी फिर से बहार।